इस पोस्ट में Sources of ancient Indian history प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के बारे में बतलाया है। जो सभी राज्य स्तरीय परीक्षाओ के लिए उपयोगी है। Target- BPSC Prelims, BPSC Tre, SSC, & other State Level Exam….
पुरातात्विक स्रोत Archaeological Sources of Ancient Indian History:-
प्राचीन भारत के इतिहास के अध्ययन के लिए पुरातात्विक स्रोत सबसे अधिक प्रामाणिक माने जाते हैं इसके अंतर्गत खुदाई से निकली सामग्री, सिक्के, अभिलेख, भवन, मूर्ति, चित्रकला आदि आते हैं।
पुरातात्विक उत्खनन दो प्रकार से होता है-
(i) क्षैतिज उत्खनन-क्षैतिज उत्खनन से किसी सभ्यता के संपूर्ण स्वरूप के बारे में जानकारी प्राप्त होती है
(ii) उधर्वाधर उत्खनन– उधर्वाधर उत्खनन से किसी संस्कृति का काल मापन किया जाता है
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- उत्खनन से प्राप्त हुई वस्तु का आयु ज्ञात करने के लिए रेडियो कार्बन डेटिंग तकनीक (Radio Carbon dating technique)का प्रयोग किया जाता है
अभिलेख Records-
अभिलेखों के अध्ययन को पूरालेखनशास्त्र (Epigraphy एपिग्राफी) कहा जाता है जबकि प्राचीन लिपियों के अध्ययन Study of ancient scripts को पैलियोग्राफी (Paleography) कहा जाता है।
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- प्राचीन भारत के अधिकांश अभिलेख पाषाण शिलाओं, स्तंभों, तामपात्रो, दीवारों तथा प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण है।
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- भारत में सबसे प्राचीन अभिलेख Ashoka अशोक के है जो 300 ई. पू. के लगभग है। डी.आर. भंडारकर D.R. Bhandarkar नामक विद्वान ने केवल अभिलेखों के आधार पर ही अशोक का इतिहास लिखने का सफल प्रकाश किया है।
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- अशोक के अभिलेख ब्राह्मी, खरोष्ठी, यूनानी तथा अरमाइक लिपियों में मिले हैं।
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- मास्की, गुर्जरा, निटटूर एवं उदेगोलम से प्राप्त अभिलेखों में अशोक का नाम स्पष्ट उल्लेख है तथा अन्य अभिलेख उसे देवानांपिय पियदसि’ (देवो का प्यारा) कहा गया है।
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- सर्वप्रथम 1837 में जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी लिपि में लिखित अशोक के अभिलेख को पढ़ा था।
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- मौर्य, मौर्योत्तर और गुप्त काल के अधिकांश अभिलेख कार्पस इनस्क्रिप्शन इंडिकेरम नामक ग्रंथ में संकलित है।
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- सबसे अधिक अभिलेख मैसूर संग्रहालय में संग्रहित है।
अभिलेखों में प्रयुक्त लिपियां Scripts used in records-ancient history-
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- प्रकृति लिपि (Prakriti Script)- आरंभिक अभिलेख प्राकृत भाषा में है
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- खरोष्ठी लिपि (Kharoshti Script)- यह लिपि दाएं से बाएं लिखी जाती थी
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- ब्राह्मी लिपि (Brahmi Script)- यह लिपि बाएं से दाएं लिखी जाती थी
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- यूनानी एवं अरामाइक लिपि- पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में अशोक के शिलालेखों में इन लिपियों का प्रयोग हुआ है।
महत्वपूर्ण अभिलेख एवं उनके शासक
अभिलेख | शासक | विषय |
हाथी गुफा अभिलेख | खारवेल | खारवेल के शासन की घटनाओं का क्रमबद्ध विवरण |
जूनागढ़ अभिलेख (गिरनार अभिलेख) | रुद्रदामन | इसमें रुद्रदामन की विजयो, व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विवरण प्राप्त होता है। |
नासिक अभिलेख | गौतम बलश्री (रचनाकार) Gautam balshree | सातवाहनकालीन घटनाओं का विवरण (गौतमीपुत्र शातकर्णी से संबंधित) |
प्रयाग स्तंभ लेख | समुद्रगुप्त SamudraGupt | इसके विजय एवं नीतियों का पूरा विवरण |
ऐहोल अभिलेख Ahol Abhilekh | पुलकेशिन द्वितीय | हर्ष एवं पुलकेशिन द्वितीय के युद्ध का विवरण |
भीतरी स्तंभ लेख | स्कंदगुप्त | इसके जीवन की अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण |
मंदसौर अभिलेख | मालवा नरेश यशोधर्मन | सैनिक उपलब्धियां का वर्णन |
सिक्के Coins-
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- सिक्के के अध्ययन को मुद्राशास्त्र (Numismatics- न्यूमिसमेटिक्स) कहते है।
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- प्राचीनतम सिक्कों को आहत सिक्कें Aahat Coins अथवा पंचमार्क सिक्के Panchmark Coin कहा जाता है। यह सिक्के ई. पू. पांचवी सदी के हैं। ठप्पा मारकर बनाए जाने के कारण भारतीय भाषाओं में इन्हें ‘आहत मुद्रा’ कहते हैं। पंचमार्क या आहत सिक्कों पर पेड़, मछली, सांढ़, हाथी और अर्द्धचंद्र आदि के विभिन्न आकृतियों के चिन्ह बने होते थे।
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- पंचमार्क सिक्कों को सर्वप्रथम 1800 ईस्वी में कोयंबटूर, तमिलनाडु में कर्नल कोल्डवेल द्वारा प्राप्त किया गया था।
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- सर्वाधिक सिक्के मौर्योत्तर काल में बने हैं, जो मुख्यतः सीसा, चांदी, तांबा एवं सोने के हैं।
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- सातवाहनों ने सीसे तथा गुप्त शासको ने सोने के सर्वाधिक सिक्के जारी किए हैं।
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- सर्वप्रथम सिक्कों पर लेख लिखने का कार्य यवन शासको ने किया। समुद्रगुप्त की वीणा बजाते हुए मुद्रा वाले सिक्के से उसके संगीत प्रेमी होने का प्रमाण मिलता है।
सिक्को से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी-Some Important Information related to coins-
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- सर्वप्रथम विशुद्ध सोने के सिक्के Gold Coins जारी किए- कुषाण शासको ने
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- सर्वाधिक मात्रा में सोने के सिक्के Gold Coins जारी किए गए- गुप्त शासको ने
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- सर्वाधिक तांबे के सिक्के Copper Coins जारी किए गए- कुषाण शासको ने
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- शीशे एवं टीन Glass & Tin Coins के सिक्के चलाएं- सातवाहन शासको ने
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- सर्वाधिक सिक्के जारी किए- मौर्य शासको ने
साहित्यिक स्रोत-Literary sources of ancient Indian history
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- साहित्य, संगम साहित्य, नाटक आदि साहित्यिक स्रोतों के अंतर्गत आते हैं।
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- भारत में सबसे प्राचीन Pandulipi पांडुलिपिया bhurz भुर्ज (बर्च) की छाल और ताड़ के पत्तों को लिखी गई थी।
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- कौटिल्य (Also Known as Chanakya)के अर्थशास्त्र से हमें मौर्य शासन Maura Shasan और उसकी अर्थव्यवस्था, राजनीतिक, प्रशासन और समाज का विस्तृत वर्णन मिलता है।
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- पुराण से हमें गुप्त शासन तक के राजवंशीय इतिहास की जानकारी मिलती है। पुराणों के रचयिता लोमहर्ष थे।
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- रामायण एवं महाभारत से हमें भारत की संस्कृति एवं सभ्यता, प्रशासनिक व्यवस्था आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। रामायण को ‘चतुर्विशति साहस्त्री संहिता, तथा महाभारत ,जय संहिता, के नाम से भी जाना जाता है।
ब्राह्मण साहित्य- Brahman Literature-
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- वेद:- वेदों के द्वारा प्राचीन Aaryo आर्यो के सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं राजनीतिक जीवन के बारे में पर्याप्त जानकारी मिलती है। वैदिक युग की सांस्कृतिक दशा के ज्ञान का एकमात्र स्रोत है। वेदों की संख्या चार है- (i) ऋग्वेद RigVeda (ii) यजुर्वेद Yajurveda (iii) सामवेद Samaveda (iv)अथर्ववेद Atharvaveda
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- इन चारों वेदों को संहिता कहा जाता है ।
(i)ऋग्वेद (1500 ई. पू.- 1000 ई.पू.)
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- यह सबसे प्राचीन वेद माना जाता है।
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- इसका संकलन महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास ने किया
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- इसमें विभिन्न देवताओं की स्तुति में गाए जाने वाले मंत्रो का संग्रह है।इस वेद को पढ़ने वाले ऋषि को ‘होतृ’ कहते हैं
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- इसमें कुल 10 मंडल, 1028 सुक्त एवं 10580 मंत्र हैं।
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- ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता ‘सविता’ को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है।
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- नौवे मंडल में देवता सोम का उल्लेख है तथा दसवां मंडल चातुर्वर्ण्य समाज की संकल्पना का आधार है।
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- ऋग्वेद के दो ब्राह्मण ग्रंथ है- ऐतरेय एवं कौषीतकि अथवा शांखायन।
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- ऋग्वेद की सबसे पवित्र नदी सरस्वती थी, इस नदीतमा कहा गया।
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- ऋग्वेद में यमुना का उल्लेख तीन बार एवं गंगा का उल्लेख एक बार (10 मंडल में) मिलता है।
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- ऋग्वेद में पुरुष देवताओं की प्रधानता है।
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- इंद्र का वर्णन सर्वाधिक 250 बार है।
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- ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद है।
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- महत्वपूर्ण- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा ऋग्वेद को विश्व मानव धरोहर के साहित्य में शामिल किया गया है।
(ii) यजुर्वेद
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- यह यजू शब्द से बना है जिसका अर्थ यज्ञ होता है अर्थात इसमें यज्ञों के नियमों और विधानों का संकलन है। इसमें यज्ञ की विधियों/ कर्मकांडों पर बल दिया गया है। इसलिए इसे कर्मकांडीय वेद भी कहते हैं।
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- यह गद्य एवं पद्य दोनों में लिखा गया है।
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- इसके दो भाग हैं- शुक्ल यजुर्वेद (पद्य) एवं कृष्ण यजुर्वेद (गद्य एवं पद्य) शुक्ला यजुर्वेद को वाजसनेयी संहिता कहा जाता है।
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- यजुर्वेद के मंत्रो का उच्चारण करने वाला पुरोहित ‘अध्वर्यु’ कहलाता है।
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- यजुर्वेद के दो ब्राह्मण ग्रंथ हैं- शतपथ एवं तैत्तिरीय।
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- यजुर्वेद के प्रमुख उपनिषद- कठोपनिषद, ईशोपनिषद, श्वेताश्वतरोपनिषद, तथा मैत्रायणी उपनिषद है।
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- यजुर्वेद में हाथियों के पालने का उल्लेख मिला है।
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- यजुर्वेद में सर्वप्रथम राजसूय तथा वाजपेय यज्ञ का उल्लेख मिलता है
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- इसमें 40 मंडल है।
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- इस वेद का उपवेद धनुर्वेद (युध्द कला से संबंधित) है।
(iii)सामवेद :-
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- साम का अर्थ गान होता है और इसीलिए भारतीय संगीत की शुरुआत इसी वेद से हुई है। इसे भारतीय संगीत Indian Music का जनक माना जाता है। सात स्वरों (सा, रे, ग, म, प, ध, नि) की उत्पत्ति इसी से हुई है। इसमें यज्ञू के अवसर पर गाए जाने वाले मंत्रो का संग्रह है।
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- सामवेद में कुल 1875 ऋचाएं हैं। सामवेद के मंत्रो को गाने वाला ‘उदगाता’ कहलाता है। इसमें मुख्यतः सूर्य स्तुति के मंत्र हैं।
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- सामवेद के दो उपनिषद- छान्दोग्य तथा जैमिनीय
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- सामवेद का ब्राह्मण ग्रंथ- पंचविश ब्राह्मण (ताण्ड्य ब्राह्मण) और षडविश ब्राह्मण
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- सामवेद का उपवेद गन्धर्ववेद कहलाता है।
(iv) अथर्ववेद-
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- इसकी रचना अथर्व तथा अंगीरस ऋषि द्वारा सभी ग्रंथो के बाद में की गई। इसलिए यह सभी वेदों में नया वेद माना जाता है तथा इसे ‘अथर्वांगिरस वेद’ भी कहा जाता है।
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- अथर्ववेद में 731 सुक्त, 20 अध्याय तथा लगभग 6000 मंत्र है।
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- अथर्ववेद में ब्रह्म ज्ञान, धर्म, समाजनिष्ठा, औषधि प्रयोग, रोग निवारण, जादू-टोना, तंत्र-मंत्र आदि अनेक विषयों का वर्णन है।
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- अथर्ववेद का एकमात्र ब्राह्मण ग्रंथ ‘गोपथ’ है।
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- अथर्ववेद उपनिषद- मुंडकोपनिषद Mundakopanishad, प्रश्नोपनिषद तथा मांडूक्योपनिषद Mandukyopanishad है।
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- मुंडकोपनिषद से ही भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य national motto of India ‘सत्यमेव जयते’ Satymamev Jayate लिया गया है।
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- इसमें अंग (बिहार) और मगध के बारे में बताया गया है, जिससे पता चलता है कि यह सबसे बाद में लिखा गया है।
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- अथर्ववेद में राजा परीक्षित का उल्लेख है, जिन्हें मृत्यु लोक का देवता कहा गया है।
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- अथर्ववेद के मंत्रो का उच्चारण करने वाला पुरोहित को ब्रह्म कहा जाता है।
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- अथर्ववेद में सभा एवं समिति को प्रजापति की दो पुत्रिया कहा गया है।
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- अथर्ववेद का उपवेद शिल्पवेद कहलाता है।